गाज़ियाबाद STF ने फर्जी दूतावास का भंडाफोड़ किया, आरोपी मनोज बिसारिया गिरफ्तार
गाज़ियाबाद में 'नकली दूतावास' का भंडाफोड़: STF ने पकड़ा 'West Arctica' का फर्जी राजनयिक, गाड़ियों की भी जांच
स्थान: गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश
जांच एजेंसी: उत्तर प्रदेश STF
तारीख़: 23 जुलाई 2025
ByomTimes विशेष रिपोर्ट
क्या है पूरा मामला?
गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में STF ने एक फर्जी दूतावास का पर्दाफाश किया है जो कथित रूप से "West Arctica" नामक देश के नाम पर संचालित हो रहा था। इस नकली मिशन को मनोज बिसारिया नामक शख्स चला रहा था, जिसने खुद को उस देश का "डिप्लोमैटिक एडवाइज़र" बताया था।
इस कथित दूतावास में न सिर्फ देशी-विदेशी झंडे लगे थे बल्कि राजनयिक प्लेट्स वाली लग्जरी गाड़ियां भी खड़ी थीं। जांच में पता चला कि इन गाड़ियों के दस्तावेज या तो फर्जी हैं या एक्सपायर्ड।
STF ने क्या किया खुलासा?
- STF ने छापेमारी के दौरान ‘Embassy of West Arctica’ नाम की एक इमारत को सील किया।
- मनोज बिसारिया ने दावा किया कि वह West Arctica का राजनयिक सलाहकार है, लेकिन जब विदेश मंत्रालय से पुष्टि की गई तो यह पूरी तरह फर्जी पाया गया।
- उसे लोगों को 'डिप्लोमैटिक पासपोर्ट', विदेशी निवेश, और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन का झांसा देकर ठगने का आरोप है।
- इस दूतावास में चार लग्जरी वाहन मिले, जिनमें से तीन के दस्तावेज एक्सपायर्ड थे।
क्या है West Arctica?
West Arctica एक काल्पनिक माइक्रोनेशन है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली है। यह अंटार्कटिका क्षेत्र के एक हिस्से पर दावा करता है, लेकिन इसका कोई व्यावहारिक अस्तित्व नहीं है।
STF का मानना है कि मनोज ने इसी नाम का इस्तेमाल करके एक नकली छवि बनाई और लोगों को गुमराह किया।
लोगों को कैसे ठगा गया?
- आरोपी ने कई लोगों को राजनयिक पहचान दिलाने का झांसा दिया।
- फर्जी ID कार्ड, डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट, और प्रोटोकॉल ऑफिसर जैसे पद नामों से आम लोगों को आकर्षित किया गया।
- विदेशी निवेश और पॉलिसी कनेक्शन के नाम पर मोटी रकम वसूली गई।
वाहनों की जांच में क्या मिला?
इमारत में खड़ी चार लग्जरी गाड़ियों में से:
- तीन गाड़ियों के कागज़ात एक्सपायर्ड मिले।
- एक गाड़ी में 'डिप्लोमैटिक' बोर्ड लगाया गया था।
- वाहन सरकारी वाहनों की तरह सजाए गए थे ताकि भ्रम पैदा किया जा सके।
STF की अगली कार्रवाई:
आरोपी के खिलाफ IPC की कई धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया है।
पूरे रैकेट की जांच के लिए फॉरेंसिक टीम, पासपोर्ट विभाग, और आयकर विभाग की मदद ली जा रही है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जुड़ा हो सकता है।
📌 निष्कर्ष:
गाज़ियाबाद में नकली दूतावास के नाम पर एक हाई-प्रोफाइल फ्रॉड का खुलासा हुआ है, जिसमें आम लोगों को विदेशी कनेक्शन और डिप्लोमैटिक पहचान का सपना दिखाकर ठगा गया। STF की कार्रवाई ने यह दिखा दिया कि फर्जीवाड़ा अब केवल दस्तावेजों तक सीमित नहीं, बल्कि राजनयिक पहचान की नकल तक पहुंच चुका है।
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