ब्राज़ील के जोनस मज़ेट्टी को भारत का पद्म श्री पुरस्कार क्यों मिला?

ब्राज़ील के नागरिक को क्यों मिला भारत का पद्मा श्री पुरस्कार

जोनस मासेट्टी, पद्म श्री पुरस्कार ग्रहण करते हुए, सफेद धोती और तिलक के साथ, नंगे पैर खड़े हैं।

ब्राज़ील 60 प्रतिशत से अधिक अमेजन के जंगलों से घिरा, दक्षिणी अमेरिका का एक देश है। आगर आप फुटबॉल के दीवाने है तो आपको मालूम होगा कि क्रिश्चियनों रोनाल्डो जैसे मशहूर खिलाड़ी ब्राज़ील के हीं निवासी है। लेकिन आज कि खबर क्रिस्टियानो रोनाल्डो की नहीं बल्कि हालही में ब्राज़ील के एक नागरिक को भारत सरकार द्वारा प्राप्त पद्म श्री पुरस्कार को लेकर है। हालही में ब्राज़ील के नागरिक जोनास मासेट्टी को भारत के सरकार द्वारा भारत के प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया है। जिससे अब लोगों में ये जानने की उत्सुकता बढ़ गई है, कि आखिर क्यों भारत सरकार ने जोनास मासेट्टी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया है।


कौन है जोनास मासेट्टी और आचार्य विश्वनाथ

ब्राज़ील के निवासी जोनास मासेट्टी का जन्म ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो नामक शहर में हुआ है। इन्होंने मिलिट्री इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैकेनिकल इंजीनियरिंग से स्नातक उत्तीर्ण करने के बाद ब्राज़ील के सेना में पांच वर्षों तक अपनी सेवाएं प्रदान करी है। इसके बाद उन्होंने ब्राज़ील के शेयर बाजार से संबंधित एक कंपनी में लंबे समय तक रणनीतिक सलाहकार के रूप में भी काम किया। सभी सुख सुविधा और जीवन में एक उचित स्थान प्राप्त होने के बावजूद भी जोनास मासेट्टी अपने जीवन से पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं थे।
जब जोनास मासेट्टी को अपने जीवन में सब कुछ प्राप्त करने के बाद भी संतुष्टि प्राप्त नहीं मिली, तो उन्होंने अपने काम को त्याग दिया। और संतोष की खोज में लग गए।


जोनास मासेट्टी ने कैसे रखा भारत में कदम

आज से करीब दो दशक पहले, वर्ष 2004 में उनकी मुलाकात ब्राज़ील में रह रहे एक भारतीय शिक्षक से हुई । जोनास ने उस भारतीय शिक्षक से प्रभावित होकर संस्कृत और वेदांत का अध्ययन प्रारंभ कर दिया।
2006 में अमेरिका की एक अध्ययन यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात स्वामी दयानंद सरस्वती से हुई। दयानंद सरस्वती के परामर्श पर उन्होंने सत्य और संतोष की खोज में भारत की भूमि में प्रवेश किया।
उन्होंने भारत के तमिलनाडु राज्य में कोयंबटूर स्थित अर्श विद्या गुरुकुलम में संस्कृत और वेदांत का अध्ययन प्रारंभ कर दिया। गुरुकुल में रहकर अगले तीन वर्षों तक उन्होंने संस्कृत और वेदांत का अध्ययन किया।


क्यों मिला पद्म श्री पुरस्कार

भारत के तमिलनाडु कोयंबटूर में स्थित अर्श विद्या गुरुकुलम में तीन वर्षों तक संस्कृत और वेदांत की शिक्षा लेने के बाद, जोनस मेसेट्टी ब्राज़ील लौट गए।
ब्राज़ील लौट कर उन्होंने रियो डी जेनेरियो के पेट्रोपोलिश शहर में “विश्वविद्या” नामक संस्था की स्थापना की।
उन्होंने इस संस्था के माध्यम से वेदांत, भगवत गीता, संस्कृत, मंत्र और वैदिक परंपरा से संबंधित विषयों पर शिक्षा देना प्रारंभ किया। उन्होंने ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ब्राज़ील समेत पश्चिमी देशी के डेढ़ लाख से अधिक छात्रों को निःशुल्क  रूप से संस्कृत, वेदांत, भगवत गीता और रामायण की शिक्षा प्रदान की।


जोनास कैसे बने आचार्य विश्वनाथ

जोनस मासेट्टी, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी

उन्होंने वेदांत और वैदिक धर्म से प्रेरित होकर 2018 में एक मूवी भी प्रकाशित किया है जिसका नाम है “उमा - लाइट ऑफ हिमालया”। इसमें उन्होंने वैदिक परंपरा और कथाओं को सुंदर रूप से समझाया है। इसके बाद 2024 में भारत में हुए G20 शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और 20 देशों के नेताओं के समक्ष उनके नेतृत्व में रामायण की सुंदर झाकियों को प्रदर्शित किया गया। उनके टीम द्वारा प्रस्तुत झाकियों में भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को बहुत ही सुंदर रूप से दर्शाया गया, जिसकी सराहना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा उनके कार्यक्रम “मन की बात” में भी हुई।
अब हाल ही में राष्ट्रपति भवन में आयोजित पद्म श्री और पद्म भूषण सम्मान समारोह में जोनास मासेट्टी को उनके द्वारा ब्राजील और पश्चिमी देशों में संस्कृत और वेदांत की लोकप्रियता बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए, भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा भारत के सर्वोच्च सम्मानों में से एक पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया है।

जोनास के जीवन की यात्रा हम सबके लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि अगर मनुष्य ठान ले तो अपने जीवन के उद्देश्य की खोज में सांस्कृतिक सीमाओं को भी पार कर सकता है। उनके कार्यो के द्वारा संस्कृत और वेदांत को वैश्विक पहचान को मजबूत करने में सहायक साबित हुई।


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लेखक: ब्योम टाइम्स न्यूज डेस्क 

दिनांक: ०२ जून 2025

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