मेक इन इंडिया की बड़ी सफलता: देश में बना 9000 हॉर्सपावर का पहला शक्तिशाली लोकोमोटिव

भारतीय रेलवे - भारत की आन, बान और शान। भारतीय रेलवे ने भारत को आर्थिक और सामाजिक दोनों ही क्षेत्र में मजबूती प्रदान की है। भारत की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाली भारतीय रेलवे ने आज एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

मेक इन इंडिया द्वारा विकसित 9000 हॉर्सपावर का स्वदेशी लोकोमोटिव

ढाई करोड़ से अधिक लोगों को रोजाना अपने मंजिल पर पहुंचने वाले भारतीय रेलवे के समृद्ध इतिहास में एक और सुनहरा पन्ना शामिल हो गया है।

उन्नत भारत की परिकल्पना में एक मजबूत रेलवे नेटवर्क का होना बहुत ही जरूरी है। किन्तु यह भी सत्य है कि भारतीय रेलवे की आय का बहुत कम हिस्सा यात्री ट्रेन से प्राप्त होता है।


आपको जानकर हैरानी होगी, कि भारतीय रेलवेज के औसत मुनाफे में से 70 प्रतिशत मुनाफा केवल कच्चे सामग्री और समान के यातायात से हुआ है। इसके लिए आवश्यक ये कि कच्चा माल जैसे कि तेल, सम्मान और अनाज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक तय समय के अंदर अपने गंतव्य  तक पहुंचाया जाए।


इसके लिए जरूरी है कि मालगाड़ियों का संचालन ओर बेहतर ढंग से किया जाए और समान को निर्धारित समय में पहुंचाया जाए। मालगाड़ियों को अधिक सामान के साथ जल्दी पहुंचने के लिए भारतीय रेलवे ने सिमेन्स इंडिया कंपनी के साथ मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत इनिशिएटिव के अंतर्गत 9 हजार हॉर्स पावर का लोकोमोटिव तैयार किया है।


क्या है ख़ास 


भारत के गुजरात राज्य के डाहोद में सिमेन्स इंडिया कम्पनी ने तैयार किया है 9 हजार हॉर्स पावर वाली भारत की पहली लोकोमोटिव इंजन। आधुनिक तकनीक से लैस ये लोकोमोटिव इंजन अधिक वजन को कम समय में लम्बी दूरी तक ले जाने में सक्षम है। 

आधुनिक तकनीकों की बात करे तो, इस लोकोमोटिव इंजन में बहुत से आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया गया है।

इसके अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल सिस्टम ऊर्जा की खपत को न्यूनतम करने में सक्षम है। इसके साथ की इसमें रिजनरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली का भी प्रयोग किया गया है।

इस लोकोमोटिव इंजन में IOT आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम के साथ-साथ उच्च ट्रेक्शन क्षमता मौजूद है जो कि भारी भरकम माल को तेजी से खींच सकता है।


इस लोकोमोटिव के निर्माण के लिए सिमेन्स इंडिया ने गुजरात के डाहोद में विश्व स्तरीय फैक्ट्री का निर्माण किया है जिसमें प्रतिवर्ष 120 इंजन को तैयार करने की क्षमता के साथ-साथ लोकोमोटिव इंजन के 60 प्रतिशत उपकरणों का बनाने की क्षमता मौजूद है। जिससे हजारों इंजिनियर और टेकनीशियन को रोजगार के नए अवसार उपलब्ध होंगे।


इस लोकोमोटिव इंजन के निर्माण से भारतीय रेलवे की क्षमता में वृद्धि होगी, जहां कम ट्रेनों में अधिक माल का यातायात संभव होगा। वही ट्रेनों के संचालन लागत में भी कमी आयेगी। जिससे भारतीय रेलवे के समय की बचत होगी और निर्यात के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं में वृद्धि होगी।


भारतीय लोकोमोटिव का भविष्य


9 हजार हॉर्स पावर वाले लोकोमोटिव इंजन के निर्माण से साथ भारत विश्व के गिने चुने देशों की सूची में शामिल हो गया है। इस लोकोमोटिव इंजन के निर्माण से भारत डीजल इंजन पर निर्भर नहीं रहेगा जो कि भारत के संकल्प नेट जीरो एमीशन बाय 2030 की तरफ एक अहम कदम है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह लोकोमोटिव न्यू इंडिया की पहचान है, एक ऐसा भारत जो तकनीक और नवाचार में अग्रणी है। 

जहां भारत न केवल अब तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बन रहा है बल्कि वो वैश्विक स्तर पर भी अपनी एक पहचान दर्ज कर रहा है। यह केवल एक इंजन नहीं बल्कि एक युग परिवर्तन की शुरुआत है।

आने वाले वर्षों में हम और भी उन्नत और तकनीक से लैस लोकोमोटिव इंजन देखेंगे जो भारत के प्रगति को गति देंगे और भारत के शशक्त बनाएंगे।


लेखक: ब्योम टाइम्स न्यूज डेस्क 

दिनांक: 31 मई 2025


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